क्या देश भर में AAP, कांग्रेस का विकल्प बन रही है ? – देखें विडियो
बीजेपी का सफाया करने की चाहत रखने वाली देश की सब से पुरानी पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस खुद साफ़ हो गई.
MANZAR ALAM’s VLOG ( Bole India ) – पांच राज्यों के नतीजे आने के बाद रजनैतिक गलियारे में इस बात की चर्चा होने लगी है कि अब देश की राजनीती Politics करवट ले रही है….. और आम आदमी पार्टी AAP राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस Congress का विकल्प बन कर उभर सकती है. आखिर आम आदमी पार्टी ने पंजाब के मतदाताओं पर ऐसा किया जादू कर दिया की उनहोंने 117 में से 92 सीट आम आदमी पार्टी की झोली में डाल दिए….. और भी बहुत कुछ जानने के लिए इस विडियो को आप अंत तक ज़रूर देखिएगा……
दोस्तों पांच राज्यों में हुए विधान सभा के चुनावी नतीजे आप देख लिए…..जहां भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी जीत की खुशियाँ मना रहे हैं…. रोड शो कर रहे हैं……वहीं देश की सब से पुरानी पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस अपनी भारी हार को ले कर कांग्रेस मंथन कर रही है. …… यह सब तो वोह चीज़ें हैं जो आप देख रहे हैं और समझ भी रहे हैं….. लेकिन इन पांच राज्यों के नतीजे में एक और महत्वपूर्ण बात छिपी है जिस की चर्चा रजनैतिक गलियारे में हो रही है और वोह यह की अब देश की राजनीती करवट ले रही है…..और यह देखने को मिला है पंजाब में ….. बीजेपी का सफाया करने की चाहत रखने वाली देश की सब से पुरानी पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस खुद साफ़ हो गयी ………… और एक नयी पार्टी पंजाब में आती है और इतिहासिक जीत हासिल कर अपना सरकार बना रही है ………….मैं बात कर रहा हूँ आम आदमी पार्टी की…..आखिर आम आदमी पार्टी ने मतदाताओं पर ऐसा किया जादू कर दिया की उनहोंने 117 में से 92 सीट आम आदमी पार्टी की झोली में डाल दिए…..दोस्तों और भी बहुत सारी बातें आप को बतायेंगे जिस के बिना पर अब राजनैतिक पंडित यह कहने लगे हैं की देश की राजनीती करवट बदल रही है इस लिए इस विडियो को आप नत तक ज़रूर देखिएगा……
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‘सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज’ का मानना है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की ज़बरदस्त जीत का मुख्य कारण है वहां की जनता का सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी शिरोमणि अकाली दल से मोहभंग हो जाना.
यही वजह है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अमरिंदर सिंह के अलावा कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू समेत कई और दिग्गज नेता अपनी सीट नहीं बचा पाए।
वहीं आप को उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में उतना लाभ नहीं मिला क्योंकि वहां के मौजूदा पार्टियों के खिलाफ असंतोष उतना अधिक नहीं था।
यह तो था पहला कारण , अब दूसरा कारण सुन लीजिये …… दिल्ली में बड़ी संख्या में रहने वाली सिख आबादी पंजाब से आती है ऐसे में अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने पिछले 6-7 वर्षों में दिल्ली में जो काम किया है उस की चर्चा पंजाब में भी सुनाइ देती है.
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आप ने दिल्ली की तर्ज पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली, बेहतर शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ देने का वादा किया साथ ही साथ पूरी पारदर्शिता बरतते हुए पार्टी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पार्टी के नेता के रूप में पेश किया और भगवंत मान को पंजाब के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया।
आब आप को यह समझाते है की क्यों राजनैतिक गलियारे में इस बात की चर्चा होने लगी है की देश की राजनीती करवट ले रही है………. यह समझने के लिए पहले आप को इतिहास में झांकना बहुत ज़रूरी है.
जनता पार्टी के टूटने के बाद 1980 में BJP की नींव रखी गई. BJP ने 1984 में अपना पहला चुनाव लड़ा और 2 सीटों पर जीत हासिल की. पांच साल बाद 1989 के चुनाव में बीजेपी 2 सीट से 86 पर पहुंच गई. 1991 में दोबारा चुनाव हुए और BJP की सीटें बढ़कर 120 हो गईं.
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अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर लाल कृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को रथ यात्रा निकाल कर बीजेपी की राजनीति में ज़बरदस्त उछाल ला दी.
उस वक़्त लालकृष्ण आडवाणी भारत की राजनीति की दिशा को तय करते थे और उन्हें प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार तक माना जाता था. ये वही आडवाणी हैं जिन्हों ने 1984 में दो सीटों पर सिमटी बीजेपी को 1998 में पहली बार सत्ता का स्वाद चखाया.
1996 के लोकसभा चुनाव में BJP को 161, 1998 में 182 और 1999 में 182 सीटें मिलीं. 2004 में उसकी सीटें घटकर 138 हो गईं.2009 में सीटें और भी कम होकर 116 पर आ गईं. लेकिन 2014 में उसने अपनी सबसे ज्यादा 282 सीटें हासिल कीं. और प्रधान मंत्री बने नरेंद्र मोदी.
यह मोदी मैजिक ही था जिसके जरिए बीजेपी 2019 की आम चुनाव में 303 सीटों तक पहुंच गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिला प्रचंड बहुमत इस बात का सबूत था कि बीजेपी अब देश के लोगों की पहली पसंद है.
करीब 15 से अधिक राज्यों में बीजेपी को 50 फीसद से अधिक वोट मिले. बीजेपी को यहां तक पहुंचने में कई उतारचढ़ाव देखने पड़े.जून 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री बने तब सात राज्यों में बेजेपी की सरकार थी.
लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद बीजेपी का कई राज्यों में विस्तार हुआ। एक वक्त था जब देश के 29 में से 20 राज्यों में बीजेपी की सरकार थी. और आज 12 राज्यों में बीजेपी की अपनी सरकार है जब की 4 राज्यों में बीजेपी गठबंधन सरकार में शामिल है.
अब बात करते हैं देश की सब से बड़ी और पुरानी पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस की.
वर्ष 2014 में कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ 13 राज्यों पर काबिज थी। 2018 आते-आते उस की स्थिति बिगड़ी और वह महज दो राज्यों में ही सत्ता में रह गई। हालांकि अगले कुछ सालों में उसकी स्थिति में सुधार आया। लेकिन 2022 में वह पांच राज्यों में ही काबिज है।
इनमें से भी तीन राज्यों तमिलनाडु, महाराष्ट्र और झारखंड में गठबंधन सरकार है और उसकी अपनी सीटें बहुत कम हैं।
उसके पास अपने दम पर एक बड़ा राज्य राजस्थान ही रह गया है। पार्टी बुरी तरह बिखर चुकी है और 2024 के आम चुनाव में वह मजबूत भाजपा से किस तरह मुकाबला करेगी, इसका फिलहाल कोई रोडमैप नहीं दिखता।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस चौतरफा निशाने पर है। कांग्रेस की इस हार और भाजपा की प्रचंड जीत के बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक पुराना बयान इन दिनों वायरल हो रहा है। यह बयान उन्होंने 1997 में एनडीए की सरकार महज एक वोट से गिरने पर दिया था।
वाजपेयी ने कहा था– एक दिन पूरा देश कांग्रेस पर हंस रहा होगा…
वाजपेयी ने सरकार गिरने पर कहा था- आज हमारी सरकार मात्र एक वोट से गिर गई है। हमारे कम सदस्य होने पर कांग्रेस हम पर हंस रही है। लेकिन मेरी बात कांग्रेस कतई न भूले। एक दिन ऐसा आएगा जब पूरे भारत में हमारी सरकार होगी और पूरा देश कांग्रेस पर हंस रहा होगा।
आज कमोबेश वही स्थिति पैदा हो गई है। देश की राजनीती में कांग्रेस का क़द छोटा होते जा रहा है और भाजपा का परचम कई राज्यों में लहरा रहा है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों ने कांग्रेस को और कमजोर किया है । इस चुनाव में कांग्रेस पंजाब में भी सत्ता गंवा बैठी। उसे गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में एंटी इंकम्बेंसी के सहारे वापसी की उम्मीद थी, लेकिन यहां भी भाजपा ने उसे बुरी तरह पटखनी दे डाली।
अब बात करते हैं आम आदमी पार्टी की,
भ्रष्टाचार के खलाफ इंडिया अगेंस्ट करप्शन आन्दोलन की कोख से निकली आम आदमी पार्टी का गठन 26 नवम्बर 2012 को हुआ था. दिसम्बर 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ पहली बार चुनावी मैदान में उतरी।
पार्टी ने चुनाव में 28 सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनायी और अरविन्द केजरीवाल मुख मंत्री बने | 49 दिनों के बाद 14 फ़रवरी 2014 को विधान सभा द्वारा जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने के कारण अरविंद केजरीवाल की सरकार ने त्यागपत्र दे दिया।
देश में मोदी लहर के बीच 2015 में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी को एकतरफा जीत दिलाई और मुख्य मंत्री बने .
पहली बार आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आते ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई. 50 भ्रष्ट अधिकारी जेल भेजे गए. बिजली के दाम 50 फीसदी घटाए गए जबकि पानी 20,000 लीटर तक मुफ्त किया गया. प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट कोटा ख़त्म किया. शिक्षा और स्वस्थ सेवाओं में काया पलट सुधार किया . हालांकी अभी बहुत से वायेदे पूरे करने बाकी थे . लेकिन जनता को आम आदमी पार्टी का काम नज़र आने लगा था .
शायद इसी लिए फिर से मोदी लहर के बीच केजरीवाल ने 2020 में भी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को विधान सभा चुनाव में जीत दिलवाई और सरकार बनाई.
और अब पहली बार आम आदमी पार्टी दिल्ली से बाहर निकल कर पंजाब में ज़बरदस्त जीत हासिल की है. और अब हरियाणा, हिमाचल और गुजरात में चुनाव लड़ने की तयारी कर रही है.
दोस्तों जिस तरह से देश में कांग्रेस का लगातार पतन हो रहा है, और वोह इतिहास के पन्नो में सिमटती जा रही है ऐसे में बीजेपी के बाद आम आदमी पार्टी ही ऐसी पार्टी नजर आने लगी है जो कांग्रेस का विकल्प बन कर देश में उभर सकती है……और यह चर्चा राजनैतिक गलियारे में होने भी लगा है
लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए रास्ते बहुत कठिन है….. उसे बीजेपी के साथ साथ नरेंद्र मोदी से टकराना होगा. …..वोह नरेंद्र मोदी जिसे विपक्ष के हर वार को हथियार बना कर उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल करना अच्छी तरह आता है. ………….मोदी के चाहने वालों का मानना है की नरेन्द्र मोदी को हराना नामुमकिन है….. अगर उन्हें कोई हरा सकता है तो वोह खुद मोदी…..
लेकिन फिर भी देश की राजनीती पर पैनी नज़र रखने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है की राजनीती परमानेंट रहेने वाली कोई चीज़ नहीं है उस की जीती जागती मिसाल है कांग्रेस . इस लिए ये बात तो तय है कि देश की जनता का किसी न किसी दिन बीजेपी से मोह भंग होगा. चाहे वो दस साल बाद हो या बीस साल बाद. उस दिन उन्हें विकल्प के तौर पर एक ऐसी विश्वसनीय पार्टी चाहिए होगी जिसे वो राष्ट्रीय स्तर पर भी चुन सकें….. और शायद उस दिन तक वोह विकल्प आम आदमी पार्टी के रूप में उन्हें मिल जाए. …..
दोस्तों अब पूरी तरह समझ गए होंगे की यह क्यों कहा जाने लगा है की देश की राजनीती करवट बदल रही है. ….आप की किया राय है कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर अपनी राय दीजिये.
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दोस्तों आज के इस विडियो में इतना ही, अगले विडियो में फिर मिलेंगे और बतायेंगे की इंडिया किया बोल रहा है . तब तक के लिए नमश्कार