भारत का अनोखा गांव, जहां करोड़पति भी कच्चे मकान में रहते हैं
पूरा गांव ही शाकाहारी है और ग्रामी, शराब, मांस और अंडे को छूते तक नहीं हैं.
- सभी ग्रामीण सुबह-सुबह गांव की पूरी पहाड़ी के चारों तरफ नंगे पैर परिक्रमा करते हैं. इस पहाड़ी पर भगवान देवनारायण का मंदिर है. ग्रामीणों की भगवान देवनारायण में गहरी आस्था है.
VIRAL NEWS- क्या कोई करोड़पति (millionaires) इंसान कच्चे घर में रहना पसंद करेगा वोह भी तब जब उस इतनी हैसियत है की वोह बड़ा आलीशान मकान में सारी आधुनिक सुख-सुविधाएं (Morden Amenities) के साथ रह सकता है. ….. आप कहेंगे नहीं …. कभी भी नहीं….. लेकिन आप यह जान कर हैरान हो जायेंगे की अपने देश में एक ऐसा गाँव है जहां करोडपती भी कच्चे मकान में ही रहता है ………. आखिर क्यों जान्ने के लिए यह पूरी खबर ज़रूर पढिये .
राजस्थान (Rajasthan) के अजमेर (Ajmer) जिले का देवमाली गांव (Devmali Village) भारत India का ऐसा अनोखा गाँव unique-village है जहां करोड़पति (millionaires) भी कच्चे मकानों ( kacha houses ) में रहते हैं . यहाँ पक्की छत का एक भी मकान नहीं बना. ग्रामीणों का मानना है कि पक्की छत बनाने से गांव में आपदा आ सकती है. इसलिए इस गांव के करोड़पति भी कच्चे मकान में रहते हैं. इतना ही नहीं वोह अपने घरों में ताला भी नहीं लगते. बीते पांच दशक में किसी भी घर में कोई चोरी नहीं हुई और ना ही पुलिस थाने में कोई रिपोर्ट दर्ज हुई है.
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पूरा गांव ही शाकाहारी है और ग्रामी, शराब, मांस और अंडे को छूते तक नहीं हैं. गांव की पूरी जमीन भगवान देवनारायण (DevNarayan God) के नाम पर ही अंकित है. सभी ग्रामीण सुबह-सुबह गांव की पूरी पहाड़ी के चारों तरफ नंगे पैर परिक्रमा करते हैं. इस पहाड़ी पर भगवान देवनारायण का मंदिर है. ग्रामीणों की भगवान देवनारायण में गहरी आस्था है. ऐसी मान्यता है कि देवनारायण जब इस गांव में आए तो ग्रामीणों की सेवा भावना से बहुत खुश हुए. उन्होंने ग्रामीणों से वरदान मांगने को कहा तो गांव वालों ने कुछ नहीं मांगा. बताया जाता है कि इस पर देवनारायण जाते-जाते कह गए सुकून से रहना है तो पक्की छत का मकान मत बनाना. गांव वाले इसका आज भी पालन करते हैं. दशकों गुजर गए, लेकिन देवमाली गांव में पक्की छत का एक भी मकान नहीं बना.
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गांव की लगभग 25 सालों तक सरपंच रहीं भागी देवी गुर्जर ने कहा कि पूरे गांव में हमारी पौराणिक मान्यता व देवनारायण भगवान की आस्था के होने के कारण हम मिट्टी और पत्थर से कच्चा मकान बनाते हैं और उनमे रहते हैं. इस गांव के संपन्न लोग भी मिट्टी के बने कच्चे घरों में ही रहते हैं. इनका मानना है कि पक्की छत बनाने से गांव में आपदा आ सकती हैं. घर में तमाम सुविधा उपलब्ध हैं, लेकिन मकान जरूर कच्चे हैं. घर में टीवी, फ्रिज, कूलर और महंगी लग्जरी गाड़ियां उपलब्ध होते हुए भी मकान कच्चे हीबने हुए हैं.
ग्रामीणों के मुताबिक कई लोगों ने पक्की छत डालने की कोशिश की तो उसका कोई न कोई खामियाजा उनको उठाना पड़ा. तभी से अनहोनी की आशंका में चलते ग्रामीण पक्की छत नहीं बनाते. कच्चे, घास फूस और केलू से बने आशियाने ही देवमाली की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. सीमेंट-चूने का इस्तेमाल भी ग्रामीण नहीं करते.
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गांव में 300 परिवार की बस्ती है. जनसंख्या करीब 2000 है. साथ ही पूरे गांव में एक ही गोत्र के लोग रहते हैं जिसके कारण वह भगवान देवनारायण की पूजा करते हैं. जहां उनको पुजारी माना जाता है. देवमाली गांव में लावड़ा गोत्र के गुर्जर समाज (Gurjar Samaj) के लोग रहते हैं. गांव में गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण का मंदिर (Lord Devnarayan Temple) पहाड़ी पर बना हुआ है. गांव में बिजली चले जाने पर मिट्टी के तेल यानी केरोसिन का उपयोग नहीं किया जाता है और तिल्ली के तेल से दीपक जलाया जाता है.
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मंदिर के पुजारी ने बताया कि भगवान में आस्था होने के कारण तमाम मकान कच्चे बने हुए हैं. यहां भाद्रपद मास में मेला लगता है और राजस्थान के कई जिलों से पैदल दर्शनार्थी पहुंचते हैं. गांव में पानी का टैंक हम नहीं बनाते हैं सिर्फ प्लास्टिक के डिब्बों में ही पानी एकत्रित रखते हैं. बिना पक्की छत के भी यह गांव गुलजार है. एक भी इंच जमीन ग्रामीणों के पास नहीं है. गांव की सारी जमीन भगवान देवनारायण के पास है. ये जमीन ग्रामीणों के नाम नहीं हो सकती. पशुपालन के जरिये ही यहां जिंदगी चहकती है. इसे आस्था कहें या अन्धविश्वास. लेकिन गांव वालों की इस श्रद्धा से हर कोई हैरान है. पूरे देश के श्रद्धालु इस गांव में दर्शन करने आते हैं.
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गांव के बुजुर्ग बताते हैं इस गांव में आज तक कभी चोरी नहीं हुई. एक बार चोर पहाड़ी पर बने मंदिर में घुस गए. दान पात्र में रखे पैसे भी चुरा लिए, लेकिन आगे नहीं जा सके. बाद में चोरों को ग्रामीणों ने पकड़ लिया. यहां के बगड़ावत भोपा गुर्जर देवनारायण की आराधना में कई दिन और कई रात बिना थके-हारे भजन गाते हैं. अनपढ़ होने के बावजूद भोपाओं की याद्दाश्त बहुत तेज है. इनके मुंह से बगड़ावतों की कहानी सुनने हजारों लोग जुटते हैं. लोग देवनारायण से कुछ नहीं मांगते. बस शांति और समृद्धि की कामना करते हैं. गांव में गुर्जर जाति के सिर्फ लावड़ा गोत्र के लोग देवनारायण के साथ प्रकृति की इबादत करते हैं.